}

Art life moment

painting.droing. advertisement.photoshop.editing.meny more art life moment

About Me

breaking news

कलाकार महिलाएं...... ब्रांडिंग पेंटिंग...... भित्ति संचार.... रंग की खुबसुरतिया.... रंगोली.... रवींद्रनाथ टैगोर RABINDRANATH TAGORE..... राजा रवि वर्मा..... विज्ञापन..... विज्ञापन के निम्नलिखित कार्य हैं..... वॉल पेंटिंग ब्रांडिंग...... वॉल पेंटिंग उद्योग..... स्टैंसिल STENCIL...... स्मारक बोर्ड...... बॉलीवुड पोस्टर पेन्टिंग... CORELDRAW

Translate

Friday, August 12, 2022

गुजराती फिल्‍म पात्र

 


गुजराती फिल्‍म पात्र : एक पेंटर की संघर्ष भरी प्रेरणादायक जीवनी


दुनिया के हर शख्‍स का जीवन अपने आप में एक अनूठी कहानी है। पर, हर कहानी प्रेरणादायक या दूसरों को बताने जैसी हो, ऐसा तो बिलकुल नहीं होता। फिर भी कुछ कहानियां होती हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा या सबक का काम करती हैं, जिन्‍हें समाज के सामने रखने के लिए कोई न कोई शख्‍स मजबूर हो ही जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है पेंटर स्‍वर्गीय कहैन्‍यालाल यादव की, है (मूलतः वो रतलाम के थे पिछले कई वर्षो से वो अहमदाबाद में स्थाई थे) जिसे युवा फिल्‍मकार भाविन त्रिवेदी ने गुजराती फिल्‍म पात्र के माध्‍यम से कहने की कोशिश की है।




पात्र की कहानी शुरू होती है बारिश की रात से। यह बारिश की रात, बॉलीवुड की मसाला फिल्‍मों की रात नहीं, जो घर से भागे हुए लड़का लड़की के बीच प्‍यार पनपने का कारण बने, बल्कि ऐसी रात, जो एक कलाकार का सब कुछ लेने पर उतारू है, जो एक साधक की साधना तोड़ने को उतारू है।


घासफूस से बनी घर की छत टपकने लगती है। चित्र बनाने में मशगूल यादव साहेब को परिवार कुछ करने के लिए आग्रह करता है और यादव साहेब अपनी पूरी पूंजी अर्थात सारे चित्र उठाकर अपनी छत पर बिछा देते हैं। इतने में एक एम्‍बुलेंस आती है, और यादव साहेब को पागलखाने लेकर जाती है। बीवी और बच्‍चे बेबस रोते हैं, यादव साहेब की मां कहती है, उसे जाने दो, तीन चार दिन में लौट आएगा।उस बारिश की रात के बाद कहानी कुछ साल पीछे जाती है। यादव साहेब एक कॉलेज में चित्रकला शिक्षक हैं। लेकिन, अपनी एक अजीब सी धुन के कारण कॉलेज समय पर नहीं पहुंचते या फिर कई कई दिन लापता रहते हैं और कॉलेज प्रिंसिपल के चेतावनी पत्र यादव का राह देखते रहते हैं। ऐसे कहानी आगे बढ़ती और यादव साहेब के संघर्ष को बयान करती है, और उस दिन पर जाकर खत्‍म होती है, जहां पर यादव साहेब एक जाने माने पेंटर बन चुके हैं। पर, एक पागल से मशहूर पेंटर बनने तक का सफर कभी आंखों में आंसू, तो कभी लबों पर हंसी लाता है।


पेंटर केआर यादव की भूमिका में दिनेश लांबा खूब जंचते हैं। ऐसा कहना गलत न होगा कि दिनेश लांबा ने अपने उम्‍दा अभिनय से किरदार में जान फूंक दी है। यादव साहेब की पत्‍नी के किरदार में अभिनेत्री प्रिनल ओबेरॉय का अभिनय भी खूब सराहनीय है। युवा और खूबसूरत अभिनेत्री प्रिनल ओबेरॉय ने नॉन-ग्लैमरस किरदार को बड़ी खूबसूरती और संजीदगी के साथ बड़े पर्दे पर उतारा है। उनके मेकअप आर्टिस्‍ट की भी तारीफ करना भी बनता है। फिल्‍म के अन्‍य सह कलाकारों (प्रशांत बरोट, कुरुष देबू, अभिलाष शाह,)का काम भी सराहनीय है।


फिल्‍म निर्देशक भाविन त्रिवेदी ने फिल्‍म निर्देशन के साथ साथ पटकथा लेखन, संवाद लेखन और कहानी लेखन में अपना बराबर योगदान दिया है। भाविन त्रिवेदी ने अपना पूरा फोक्‍स कहानी के मुख्‍य किरदारों पर केंद्रि‍त रखा है। मुख्‍य कलाकारों के अभिनय और किरदार को इंच भर इधर उधर हिलने नहीं दिया, जिसे उनके उम्‍दा निर्देशन की निशानी कह सकते हैं। फिल्‍म के संवाद दिल छू लेने वाले हैं, विशेषकर जो यादव साहेब के लिए लिखे गए हैं। फिल्‍म में इक्‍का दुक्‍का संवाद हिंदी में भी सुनने को मिलेंगे। फिल्‍म का फिल्‍मांकन कार्य भी शानदार है। कुछ सीन बहुत ही शानदार बने हैं, जो जेहन में छप जाएंगे, जैसे साधु और यादव की मुलाकात, पति पत्‍नी के अंतिम क्षणों की बातचीत, चित्रों समेत तूलिका बेचने का सीन इत्‍यादि।


अगर आप सिनेमा को कला मानते हैं, तो पात्र आपके लिए एक स्‍टीक और बेहतरीन फिल्‍म साबित हो सकती है। इस फिल्‍म को परिवार में बैठ कर देखा जा सकता है!

यह भी पढ़े ...पात्रा 22 फरवरी, 2020 को रिलीज़ हुई थी और इसका निर्देशन भाविन त्रिवेदी ने किया था। यह फिल्म 1 घंटा 51 मिनट की अवधि की है और गुजराती भाषा में उपलब्ध है।  इस फिल्म में प्रशांत बरोट, सुखविंदर कौर, कुरुश देबू, दिनेश लांबा और प्रीनल ओबेरॉय मुख्य भूमिका में हैं।


No comments:

Post a Comment

indian painting


 

About Me

shailesh kapdi rajkot (gujarat)

ad

Labels