पश्चिमी चित्रकला
27000-13000 ई.पू. में दक्षिण-पश्चिम यूरोप में गुफा कला के द्वारा तत्कालीन मानव ने अपने जीवन का चित्रण किया। अफ्रीकी कला, इस्लामिक कला, भारतीय कला, चीनी कला और जापानी कला- इन सभी का पूरा प्रभाव पश्चिमी चित्रकला पर पड़ा है।
प्राचीन रोमन व ग्रीक चित्रकला
प्राचीन ग्रीक संस्कृति विजुअल कला के क्षेत्र में अपने आसाधारण योगदान के लिए विख्यात है। प्राचीन ग्रीक चित्रकारी मुख्यतया अलंकृत पात्रों के रूप में मिली है। प्लिनी द एल्डर के अनुसार इन पात्रों की चित्रकारी इतनी यथार्थ थी कि पक्षी उन पर चित्रित अंगूरों को सही समझ कर खाने की कोशिश करते थे।
रोमन चित्रकारी काफी हद तक ग्रीक चित्रकारी से प्रभावित थी। लेकिन रोमन चित्रकारी की कोई अपनी विशेषता नहीं है। रोमन भित्ति चित्र आज भी दक्षिणी इटली में देखे जा सकते हैं।
मध्यकालीन शैली
बाइजेंटाइन काल (330-1453 ई.) के दौरान बाइजेंटाइन कला ने रुढि़वादी ईसाई मूल्यों को व्यवहारिक या लौकिक पच्चीकारी या प्रतिमाओं के रूप में व्यक्त किया।
बाइजेंटाइन कला की तुलना वर्तमान काल की अमूर्त कला से की जा सकती है।
मध्यकाल के दौरान रोमांनेस्क्यू और गोथिक चर्र्चों को स्थापत्य और भित्ति चित्रों से अलंकृत किया गया। तत्कालीन भित्ति चित्रों में एक विशेष अपील है। बाइजेंटाइन स्थापत्य व वास्तुकला के प्रभाव से रोमांनेस्क्यू काल में पैनल चित्रकारी एक सामान्य चीज हो गई। 13वीं शताब्दी के मध्यकाल तक आते-आते मध्यकालीन कला व गोथिक चित्रकारी यथार्थवादी हो गई। यथार्थवादी कला का सबसे ज्यादा प्रभाव इटली पर पड़ा। इस काल के चर्र्चों में अधिक खिड़कियां बनाई जाने लगींऔर अलंकरण के लिए रंगीन स्टेन शीशों का प्रयोग किया जाने लगा। नोत्रे देम द पेरिस का चर्च इस शैली की प्रतिनिधि इमारत है।
नवजागरणकाल और सदाचारवाद (Renaissance and Mannerism)
इस काल के दौरान डोनाटेल्ले, लिप्पी और बोटसेल्ली ने ग्रीक और रोमन स्थापत्यकला, साहित्य और चित्रकारी में लोगों की रुचि जगाई। फ्लोरेंस नवजागरण का केेंद्र बिंदु था। इस काल के कलाकारों ने चित्रकारी के लिए तैलीय रंगों का आविष्कार किया। लियोनार्डो द विन्सी, माइकेलएंजिलो, राफेल, जिओवन्नी बेल्लिनी और टिटियन जैसे महान कलाकारों ने चित्रकारी को एक नया आयाम व ऊँचाई प्रदान की। इस काल की चित्रकारी में मानव शरीर को एक अलग अंदाज में चित्रित किया गया।
हैंस हॉलबीन द यंगर, अल्ब्रेख्त ड्यूरर, लुकाच क्रेनाच, मैथियास ग्रेुनेवाल्ड औ्रर पीटर ब्रुगेल जैसे फ्लेमिश, डच और जर्मन चित्रकारों नेे इतालवी चित्रकारों की अपेक्षा अधिक यथार्थवादी शैली का विकास किया।
उच्चनवजागरणकाल की शैली से एक कलात्मक शैली सदाचारवाद का विकास हुआ। रोमानो, पोंटार्मो और पर्मीजिआनिनो जैसे कालकारों ने नवजागरण काल की खोजों को अरूढ़ शैली में व्यक्त किया।
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