वॉल पेंटिंग विज्ञापन
भारत में सबसे ज्यादा फैला हुआ श्रेष्ठ विज्ञापन का माध्यम।वॉल पेंटिंग हर एक स्टेट शहर , गांव,कस्बे, तक फैला हुवा माध्यम है डिजिटल वॉल पेंटिंग से भी सस्ता टिकाउ,कंपनी को बेनिफिट देनेवाला माध्यम है।
वॉल पेंटिंग के फायदे
वॉल पेंटिंग एक ऐसा माध्यम है जो आपको कही भी नजर आ जायेगा।वॉल पेंटिंग टिकाउ होता है।हर मौसम में वॉल पेंटिंग क्वालिटी वैसे की वेसी ही रहती है।वॉल पेंटिंग को कोई मिटा नही सकता जब तक उसपे कोई दूसरा इस्तिहार नही लगता।वॉल पेंटिंग में कलर फास्ट होते है जिसकी वजह से राहदारी ओ ध्यान खींच जाता है।वॉल पेंटिंग प्रदर्शनी कही भी लगाई जा सकती है।जेसे की डीलर शॉप।पिकअप बस स्टैंड।गार्डन।सिनेमा के अगल बगल। मेन चौराहा।स्टेट हाईवे ,नेशनल हाईवे।छोटे छोटे गांव कस्बे।स्कूल वगेरह जगहों पर।आसानी से लग जाती है।जितनी भी बड़ी वॉल की साइज उतनी प्रदर्शनी अच्छी होती है।
ये व्यवसाय कोन करता है?
वॉल पेंटिंग मजे हुए आर्टिस्ट पेंटर जो 30 या 40 साल का तर्जुबा होता है ।
तर्जुबा वाले पेंटर एक अच्छी वॉल पेंटिंग करने में माहिर होते है।जेसे की लोकेशन ढूंढना,ज्यादा याता यात की जगह पे वॉल को अच्छी तरह सतह देते है। वो कंपनी की दी हुई डिजाइन के मुताबिक ही बैठा देते है।जो नो शिखिए पेंटर नही कर सकते।जितना तर्जुबा ज्यादा उतना मुनाफा ज्यादा।ये सोच अगर कोई कॉरपोरेट कंपनी जान ले तो ।कॉरपोरेट कंपनी को बेनिफिट ज्यादा मिल सकता है ऐसा मेरा मान न है।
ठेकेदार प्रथा
आजकल वॉल पेंटिंग मृतःपाए पे खड़ा नजर आ रहा है।उसकी मुख्य वजह ठेकेदार प्रथा।मुनाफा खोरी की जड़ ने इस व्यवसाय में जब से प्रवेश क्या तब से।जी अच्छे अच्छे पेंटर थे वो इस व्यवसाय से विलुप्त होते जा रहे है और ।जिसको पेंटिंग के विषय में मालूम ही नहीं उन लोगो ने इस हरे भरे व्यवसाय पे कब्जा किया हुआ है ये एक बड़ी विडंबना है।1990 में वॉल पेंटिंग का प्रति वर्ग फुट का जो भाव था।उदाहरण के तौर पर,2,25 पैसा,वो आज 2022 में प्रतिवर्ग फुट 2 रुपिए की बढ़ोतरी हुई है।यानी प्रति वर्ग फुट ।4,25 भाव मिल रहा है एसा। जानकारों बताते है।30 साल में 2 रुपए की बढ़ोतरी हुई है।भारत के कोई भी व्यवसाय को देखो तो वो प्रतिवर्स अपडेट होते है लेकिन वॉलपेंटिंग उद्योग अपडेट हूवा ही नहीं। ये एक हास्य स्पाद बात है।एक वजह ये भी बताते है की डिजिटल या फ्लेक्स बैनर आने की वजह से इस उद्योग को क्षति हुई है ये तर्क भी हो सकता है।लेकिन दूसरा पहलू ये भी की फ्लेक्स बैनर बाहरी दीवारों पे नही लग सकते। दीवार की सतह पर पेंटिंग हो सकता है।डीलर शॉप पे शटर पे पेंटिंग ही हो सकता है।बैनर नही लग सकता।डिजिटल वॉल पेंटिंग बहुत महंगा माध्यम है।और भारतीय मान्यता के हिसाब से लोग पोस्टर समझते है इसलिए ।कोई चिपकाने नही देते ये भी एक वजह हो सकती है।
अगर अच्छी क्वालिटी की जरूरत है तो पहले। ठेकेदार सिस्टम।को खत्म करना होगा।एजेंसी चाहे तो सीधे मजे हुए तर्जुबेकार पेंटर से सीधे काम ले सकते है।इसमें एजेंसी को फायदा ये होगा की काम क्वालिटी अच्छी मिलेगी।समयानुसार काम होगा।और वो भी डिजाइन के हिसाब से।लोकेशन भी अच्छी क्वालिटी के मिल सकते है।वॉल पेंटिंग में लोकेशन बहुत ही मायने रखते है।जो एक तर्जुबेकार पेंटर ही बता सकता है।
सीधे पेंटर से जुड़े केसे?
सीधी सी बात है।आप हमारे ब्लॉग की जरिए सोशलमिडिया।या पेंटर की हर शहर में शॉप होती है।हमारे ब्लॉग के कॉमेंट बॉक्स में आपको पेंटर के कॉन्टैक्ट नंबर मिल सकते है।और एसोसिएशन के जरिए भी आप सीधे जुड़ सकते है।
वास्तव समय में महंगाई के हिसाब से 4,50 पैसा प्रतिवर्ग फुट पेंटर का भाव है।जो उनको सीधे नही मिलता।बीच में ठेकेदार अपना कमिशन ,1 रुपया या 2 रुपिया निकाल लेते है। कंपनी का वास्तविक भाव से पेंटर बिलकुल अनजान होता है।उसकी वजह थोड़ी पेंटरों की अज्ञानता भी हो सकती है।
एजेंसी चाहे तो वास्तविक भाव मूल्य। सीधे पेंटर को बताए तो।जो आज कल वॉल पेंटिंग जो मृत अवस्था में है उनको जागरूक कर सकते है।
अगर आप पेन्टर है और आपके पास जी ऐस टी नहीं है तो अच्छा पेन्टर हो ने के बाद आप को काम नहीं मिलता तो क्या करे
ReplyDeleteवॉल पेंटिंग यह सदियों की विरासत है पीढिदर पीढ़ी की लोककला है , और 5 दशकों से समाज का नेतृत्व कर विज्ञापन क्षेत्र में हॉर्डिंग हो या बैनर हो उस्तव फेस्टिवल और अन्य साधनों से समाज के हित जागरण कर भारतीय लोककला को जीवित रखे हुए है हाल ही में डिजिटल के चलते प्रदूषण से हस्तकलाकर बेकार है और यह कला विलुप्त होने की कगार पर है .
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