शोभा सिंह (shobha singh ) चित्रकार की जीवनी
सोभा सिंह या शोभा सिंह (१९०१ -१९८६) पंजाब, भारत के एक प्रसिद्ध समकालीन चित्रकार थे सरदार सोभा सिंह का जन्म २९ नवम्बर १९०१ को एक रामगढ़िया सिख परिवार में श्री हरगोबिंदपुर, पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था। उनके पिता, देवा सिंह, भारतीय घुड़सवार सेना में थे।
सोभा सिंह पंजाब के सबसे अच्छे चित्रकारों में से एक माने जाते थे।
शोभा सिंह (shobha singh ) चित्रकार की जीवनी:
सरदार शोभा सिंह चित्रकार का जन्म 29 नवंबर1901 को सिख परिवार में गुरुदास पुर जिले में हुआ था। इनके पिता देवा सिंंह भारतीय सेना में थे शोभा सिंह 1919 में सेना में ड्राफ्ट्समैन के रूप में नियुक्त हुए परंतु 1923 में ही कला में कुछ नया करने के लिए सेना से इस्तीफा दे दिया,तथा अमृतसर मैं एक अपना स्टूडियो खोला , कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना एक स्टूडियो लाहौर दिल्ली और मुंबई में भी स्थापित किया पर परंतु विभाजन के बाद उन्होंने लाहौर को छोड़ दिया और हिमाचल प्रदेश के एक अजनबी स्थान एंड्रेटा में बस गए , यह स्थान आज उनकी कला दीर्घा के कारण विश्व पटल में एक पहचान रखता है ।
शिक्षा दीक्षा
शोभा सिंह ने 15 वर्ष की उम्र में अमृतसर के एक तकनीकी औद्योगिक स्कूल में कला और क्राफ्ट का एक साल का कोर्स किया उसके बाद इन्होंने इसी डिप्लोमा के सहारे इंडियन आर्मी में ड्राफ्ट्समैन की नौकरी पाई सेना में नौकरी के दरमियान यह मेसोपोटामिया और मध्य एशिया के कई भागों में घूमे वहां की कला और संस्कृति से परिचित हुए अपने बढ़ते हुए कला रुझान के कारण उन्होंने सेना से 1923 में इस्तीफा दे दिया 1923 में ही बैशाखी के दिन इनका विवाह बीबी इंदर कौर से हुआ । तत्पश्चात उन्होंने लाहौर में सन 1926 में अपना एक स्टूडियो खोला बाद में उन्होंने अपनी एक स्टूडियो क निर्माण लाहौर और एक अन्य स्टूडियो दिल्ली में भी खोला
परंतु 1946 में फिर से वापस लाहौर में आ गए और अपना एक स्टूडियो खोला परंतु भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यह हिमाचल प्रदेश में एक छोटे से कस्बे पालमपुर के पास एंड्रेटा नामक स्थान पर स्टूडियो खोला और यहीं बस गए कांगड़ा वैली में यह जन्म स्थान आज विश्व में जाना पहचाना जाता है दूर-दूर से विश्व विश्व भर के सैलानी यहां पर शोभा सिंह आर्ट गैलरी के दर्शन के लिए आते हैं
पेंटिंग्स(Paintings )
एंड्रेटा में अपने 39 साल के प्रवास के दौरान, एस. शोभा सिंह ने सैकड़ों पेंटिंग बनाईं। उनका मुख्य ध्यान सिख गुरुओं, उनके जीवन और कार्य पर था। सिख गुरुओं पर उनकी श्रृंखला इस हद तक हावी है कि उनके चित्र गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़े लोगों की धारणा पर हावी हैं। 1969 में गुरु नानक की 500 वीं जयंती के सम्मान में उन्होंने जो चित्र बनाया था, उसे व्यापक रूप से गुरु नानक का माना जाता है। शोभा सिंह ने अन्य गुरुओं, गुरु अमर दास, गुरु तेग बहादुर और गुरु हर कृष्ण के चित्रों को चित्रित किया। सोहनी महिवाल और हीर रांज़ा की उनकी पेंटिंग भी बहुत लोकप्रिय थीं। उन्होंने शहीद भगत सिंह, करतार सिंह सराभा, महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री आदि जैसे राष्ट्रीय नायकों और नेताओं के प्रभावशाली चित्रों को भी चित्रित किया।
उनके भित्ति चित्र नई दिल्ली में भारतीय संसद भवन की आर्ट गैलरी में प्रदर्शित हैं। सिख इतिहास के विकास को दर्शाने वाले एक पैनल में गुरु नानक बाला और मरदाना हैं; और दूसरी ओर गुरु गोबिंद सिंह ध्यान में। शोभा सिंह ने मूर्तिकला में भी काम किया और एमएस रंधावा, पृथ्वीराज कपूर और निर्मल चंद्र जैसे प्रमुख पंजाबियों की आवक्ष प्रतिमाएं और पंजाबी कवि अमृता प्रीतम का अधूरा अध्ययन किया। उनके कार्यों के मूल अंद्रेटा में शोभा सिंह आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किए गए हैं। आम जनता एंड्रीटा में उनके स्टूडियो भी जा सकती है। 22 अगस्त 1986 को चंडीगढ़ में शोभा सिंह का निधन हो गया। अंद्रेटा (पालमपुर) शोभा सिंह आर्ट गैलरी की वजह से बहुत लोकप्रिय है और दुनिया भर से कई पर्यटक उनकी कला को देखने के लिए अंद्रेटा आते हैं।
इन्होंने हीर रांझा और सोनी महिवाल पेंटिंग बनाई ।
हिमाचल प्रदेश की धौलाधार पर्वत श्रेणी तथा वहां की गद्दी जनजाति लोंगों की पेंटिंग्स भी बनाईं।
शोभा सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय वीरों के भी चित्र बनाएं क्रांतिकारी भगत सिंह , करतार सिंह सराभा के चित्र बनाएं ; राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का और लाल बहादुर शास्त्री जी के भी चित्र बनाएं ।
इनके कुछ म्यूरल भारतीय संसद न्यू दिल्ली में स्थित है इस पैनल में गुरु नानक और उनके शिष्य बालाऔर मर्दाना भी हैं एक जगह गुरु गोविंद सिंह ध्यान लगाए बैठे हैं ।
शोभा सिंह ने पंजाबी साहित्यकारों और कलाकारों की बेस्ट प्रतिमायें भी बनाई इनमें एम .एस.रंधावा की पृथ्वीराज कपूर अमृता प्रीतम की बस्ट प्रतिमाएं भी बनाई ।
पुरस्कार
भारत सरकार ने महान चित्रकार शोभा सिंह की चित्रकारी को देखते हुए 1983 में पद्मश्री अवार्ड से नवाजा ।
संचार और ब्रॉडकास्टिंग मंत्रालय ने इन जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई उसका नाम था "पिंटर ऑफ पीपल" है।
इसी तरह ब्रिटिश सरकार ने 1984 में इनके जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का भी निर्माण किया 84 में भारत सरकार ने इनके जीवन पर एक पोस्टल स्टैंप (डाक टिकट) जारी किया
मृत्यु
इस महान चित्रकार की मृत्यु में 22 अगस्त 1986 को PGI चंडीगढ़ में हुई।
Thankyou, salesh ji. For introduce painting life of great artist Mr. Shobha singh
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