आज के आधुनिक युग में तमाम कलाएं व शैलियाँ भारत में फल- फूल रही हैं. उन्ही में एक तेजी से पल्लवित – पुष्पित होती कला का नाम है ”चित्र कला” जिन्हें कुछ लोग पेंटिंग भी कहते हैं.आज मैं इसी विधा के बारे में बताऊंगा कि कैसे एक ‘’चित्र कला प्रेमी’’ बिना किसी प्रशिक्षण के पेंटिंग बनाने की शुरुआत कुछ संसाधनों के माध्यम से कर सकता है. वैसे इस क्षेत्र में काफी युवा बाकायदा डिग्रियां लेकर आ रहे हैं. तो कुछ नैसर्गिक प्रतिभा के धनी, शौकिया या सीधे शुरू हो जाते हैं.यदि आप किसी प्रतिष्ठित कला महाविद्यालय से स्नातक या परास्नातक नहीं हैं और फिर भी आप चित्रकला बनाने में रूचि रखते हैं और बनाना चाहते हैं तो आइये हमारे संग, हम आप को इस विधा की कुछ मूलभूत
बातें बताते हैं.ताकि आप पेंटिंग शुरू करने से पहले पूरी तैयारी कर लें.ताकि आप को पेंटिंग बनाने में आसानी हो.
तो आइये तैयारी शुरू करते हैं…
सबसे पहले आप एक इजल [ पेन्टिंग स्टैंड ] लें. जो हिलता-डुलता न हो.जिस पर कैनवास ठीक से रख सकें.कैनवास अच्छी प्रतिष्ठित कंपनी का ही लें.इससे आप को पेंटिंग बनाने में आसानी होगी. कैनवास शुद्ध उच्च कोटि के कपास के धागे का बना होता है. अच्छे कैनवास के धागों में गांठ नहीं पड़ती. जब धागा एक – दूसरे के ऊपर से गुजरता है तो जो चौराहा बनता है, वहाँ हल्का सा गड्ढा बनता है. यहीं रंग टिकता है. इससे पेंटिंग खिलती है. कैनवास 500 से लेकर 2000 रूपये मीटर तक आमतौर पर मिलता है. अच्छे कैनवास की उम्र 100 वर्ष से भी अधिक होती है. इस पर पपड़ी भी नहीं पड़ती. कैनवास की प्रतिष्ठित कम्पनियाँ हैं – बीपीओ, मोनालिसा, विन्सर न्यूटन, कैमेल, लेफांट एवं रीब्स आदि. आप अपने बजट के हिसाब से कैनवास का चुनाव कर सकते हैं. कैनवास पर पेंटिंग इसलिए बनाते हैं क्योंकि इसे मोड़ कर रख सकते हैं और इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. कैनवास पर पेंटिंग बनाने में सहजता महसूस होती है क्योंकि कैनवास के धागे में गांठ नहीं होती.
रंग अर्थात कलर का चुनाव
रंगों का प्रयोग सावधानी पूर्वक करें. इसके रंग बेहद मंहगे मिलते हैं. 100 मिलीमीटर का कलर ट्यूब औसतन 3500 रुपये का होता है. सबसे बढ़िया ”आर्टिस्ट कलर ” होता है. इसमें भी 1, 2, 3 ,4 सीरीज होती है. बच्चों के सीखने के लिए भी स्टूडेंट कलर आते हैं. जिसमें पेंस्टल व चारकोल पेन्सल कलर शामिल हैं. रंग प्रतिष्ठित कम्पनी का ही लें, जैसे बीपीओ, विन्सर न्यूटन, पेलीकान एवं रीब्स आदि .
ब्रश का चुनाव
इसके बाद ब्रश का चुनाव करें. अगर टेक्सचर [ खुरदुरा ] इफेक्ट करना है तो आप हॉग [बड़े बालों वाला ब्रश ] ब्रश का इस्तेमाल करें और कम फिनिस या फ़ाइन करना हो तो सेंम्बर [ मुलायम ब्रश ] का इस्तेमाल करें. इन दो तरह के ब्रशों को धोने के लिए तारपीन खरीद कर रख लें. ब्रश को पोछने के लिए एक अच्छा तौलिया रखें. रंग,ब्रश व अन्य सम्बंधित सामान रखने के लिए एक अच्छा स्टैंड बनायें, ताकि उसे उचित जगह रख सकें. साथ में ज्यामेट्रिक इक्विपमेंट भी रखें .
अब पेंटिंग करना शुरू करें
एक अच्छा कैनवास लें. उसे खोलकर ठीक से स्टेच करें. फिर आप अपने विषय के हिसाब से रंग का एक कोट कैनवास पर मार दें.
अब आप सोंचिये कि आप को उस पर स्केच करना है या पेंटिंग. आप रंग का भी चुनाव कर लें कि आप ऑयल करना चाहते हैं या एक्रेलिक. वाटर कलर काफी देरी में सूखता है. उसके बाद एक्रेलिक . वाटर कलर कभी भी धोया या साफ़ किया जा सकता है, परन्तु ऑयल कलर कभी नहीं छूटता. ज्यादातर चित्रकार ऑयल का इस्तेमाल करते हैं. इससे बनी चित्रकला खूबसूरत और चमकदार होती है. इसकी साफ – सफाई [ धूल – मिट्टी ] भी की जा सकती है. पेंटिंग बनाते समय शोर नहीं होना चाहिए. शांत जगह होनी चाहिए. ताकि चित्रकला बनाते समय दिमाग स्थिर रहे और विषय प्रभावित न हो. अगर आप संगीत के शौकीन हैं तो आप चित्रकला बनाते समय मधुर संगीत सुनें. चित्रकला की सुन्दरता में ‘फ्रेम’ का भी विशेष महत्त्व होता है. इस लिए अपनी चित्रकला के अनुसार फ्रेम का चयन करें. इससे चित्रकला की सुन्दरता पर असर पड़ता है. चित्रकला के पीछे अच्छे हुक की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि आसानी से टांगा व उतारा जा सके. तो ये हुई कुछ चित्रकला बनाने की मुलभूत बातें. इसके अलावा आप पेंटिंग्स की दुनिया के बारे में कुछ और जानने को उत्सुक है तो थोड़ा और जानिए. आज भारत में दो तरह की विधा में ज्यादा काम हो रहा है.एक फ़ाईन आर्ट [ ललित कला ] दूसरा माँर्डन आर्ट [ आधुनिक कला ] . इसके आलावा आब्सट्रैक्ट [ आभासी कला ] में भी चित्रकला बन रही है. आज भारत में चित्रकला का बाज़ार प्रति वर्ष अनुमानतः 1000 करोड़ रुपये का है. भारत के प्रसिद्द चित्रकारों में तैयब मेहता , राम कुमार , अकबर पदमसी,स्व. मकबूल फ़िदा हुसैन, एन. एन. सूजा, एस. एच .रजा, के. एच. आरा, जेमिनी रॉय .पृथ्वी सोनी तथा मुंबई के युवा चित्रकारों में राम जी शर्मा, घनश्याम गुप्ता, नरेन्द्र बोरलेपवार आदि अनेक प्रतिभाशाली चित्रकार हैं . इन कलाकारों की एक – एक चित्रकला के मूल्य लाख से लेकर करोड़ों तक हैं.
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