भारत के मशहूर चित्रकार, लेखक सतीश गुजराल
सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसम्बर, 1925 को ब्रिटिश इंडिया के झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने लाहौर स्थित मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में पाँच वर्षों तक अन्य विषयों के साथ-साथ मृत्तिका शिल्प और ग्राफिक डिज़ायनिंग का अध्ययन किया। इसके पश्चात सन 1944 में वे बॉम्बे चले गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बचपन में इनका स्वास्थ्य काफ़ी अच्छा था। आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। परिणाम स्वरूप लोग सतीश गुजराल को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे। सतीश चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए।
एक दिन उन्होंने पक्षियों को पेड़ पर सोते हुए देखा। इसके बाद उन्होंने इस छवि की पेंटिंग बनाई। यह उनका चित्रकारी करने की तरफ पहला रुझान था। इसके बाद वर्ष 1939 में उन्होंने लाहौर में आर्ट स्कूल में एडमिशन लिया। वर्ष 1944 में वह मुंबई चले गए। जहां उन्होंने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में एडमिशन लिया। बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी।ख़ाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे। इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी। इनके अक्षर एवं रेखाचित्र दोनों ही ख़ूबसूरत थी।
सुप्रसिद्ध कलाकार गुजराल उन कुछ लोगों में से एक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद भारत में कला पर लगातार अपना दबदबा कायम रखा है. वह एक अच्छे वास्तुकार भी थे. उन्होंने नई दिल्ली में बेल्जियम दूतावास की इमारत डिजाइन की है.
इन्हें कला का राष्ट्रीय पुरस्कार तीन बार प्राप्त हो चुका है दो बार चित्रकला के लिए एवं एक बार मूर्तिकला के लिए | इनका विवाह किरण गुजराल के साथ हुआ। इनका बेटा एक प्रसिद्ध वास्तुकार है। इनकी बड़ी बेटी अल्पना ज्वैलरी डिजाइनर है एवं छोटी बेटी रसील इंटीरियर डिजाइनर है। इनके बेटे मोहित का विवाह भूतपूर्व मॉडल फिरोज के साथ हुआ।
वे देश के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार पद्म विभूषण (1999) से सम्मानित प्रतिष्ठित चित्रकार थे और पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई थे.
पुरस्कार
सतीश गुजराल को मेक्सिको का लियोनार्डो दा विंची पुरस्कार मिला।
उन्हें "ऑर्डर ऑफ क्राउन" से भी सम्मानित किया गया है।
उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
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